Friday, December 28, 2012

बिटिया देश को जगाकर सो गई ..........

बिटिया  देश को जगाकर सो गई
माँ की लाडली हमेशा के लिए खो गई 

युवाओं  ने भी ली है अब अंगड़ाई
तय कर बैठे है की लड़ेंगे हक़ की लड़ाई 

मौत तेरी यह व्यर्थ अब न  जायेगी 
हुक्मरानों से जनता अब हिसाब मांगेगी 

सुधर जाओ समझ जाओ सत्ता के ठेकेदारों
देख के यह हालात  देश अब उठ खड़ा है
युवा देश का अब हालात से लड़ने लगा है

Saturday, December 22, 2012

दूसरा एंगल - युवा शक्ति जाग उठी है - नेताओ समझ लो जान लो

दूसरा एंगल - युवा शक्ति जाग उठी है - नेताओ समझ लो जान लो
बलात्कार की राजधानी माफ़ करना देश की राजधानी दिल्ली में युवा शक्ति  ने स्वचेतन हो जिस तरह से अमानवीय शर्मनाक घटना के विरोध में सुबह से एकत्रित होना शुरू किया तो उनके संग हर उम्र का जुड़ना शुरू हो गया।
दुखद शर्मनाक घटना का विरोध स्वाभाविक था  मगर सत्ता हो या विरोधी पक्ष किसी भी दल के नेताओ ने सोचा भी नहीं होगा की ऐसा एतिहासिक विरोध प्रदर्शन इण्डिया गेट , विजय चौक से लेकर रायसीना हिल्स, राष्ट्रपति भवन तक दिखाई देगा। युवा शक्ति की इस जागरूकता को नमन। यह तो था दिल्ली का नजारा। संख्या में कम मगर विरोध का यह आलम देश के हर कोने में चल रहा है। यह अपने  आप में एक शुभ संकेत है।

आज वर्ष का सबसे छोटा दिन भारत के इतिहास में इक बड़ी घटना के नाते दर्ज हो जायेगा - इस देश को अब जागने वाले युवाओ की कतार मिल गई है। अब लगता है कि  सोई जनता का जमाना जाने लगा है .बिना नेताओ के अब जनता इकजुट  होने लगी है। यह उस युवा शक्ति का समूह था जिसे हांकने वाला कोई आका नहीं था। उसके हाथ में किसी ब्रांड का झंडा नहीं था। देश की कानून व्यवस्था का मखौल देश के हर कोने में नजर आता है . कानून की परिभाषा अपने हिसाब से देने वालो के विरोध में नेत्रत्व  विहीन यह युवा शक्ति पहली बार संगठित हुई है।

कई बार झड़प,आंसू गैस के गोले और लाठियों की गर्माहट से भी सबको दो चार होना पड़ा मगर हिम्मत में कोई कमी नहीं आई।
विरोध के इस उबाल को दोपहर तक एक जलसा समझ रहे गृहमंत्री को आखिर सूरज ढलने के साथ साथ समझ  आने लगा की अब कुछ करना होगा तब वे प्रधानमंत्री से एक घंटे से भी अधिक समय तक इस मसले के हल के लिए मिले। कुछ राजनितिक घोषणा हो जाएगी विरोध के इस ज्वालामुखी को शांत करने के लिए।

मगर आज में खुश हूँ की भारत माता  की युवा शक्ति अब वाकई जाग गई  है और शायद वर्ष की सबसे बड़ी रात देश के राजनेताओं की नींद उड़ा गई है।
 स्वामी विवेकानंद ने कहा वो दोहरा रहा हूँ - उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये.
भारत माँ के परम वैभव को पुन्ह प्राप्त करने इस हेतु इस युवा शक्ति को अब जागृत रहना होगा। अभी हाल ही में विवेकानन्द शार्ध शती समारोह युवा सम्मेलन में मुख्य वक्ता मनमोहन जी वैध्य के उद्बोधन के  अंश का उल्लेख करना चाहूँगा --" भारत के युवा को   कुछ ऐसा करना चाहिए की अन्यो को भी अपने कुछ करने से आनंद आये, तभी अपना जीवन सार्थक होगा। उन्होंने युवाओं के सामने चार सूत्रों को अपनाने का आव्हान किया| ये सूत्र है- 1. भारत को मानो, 2. भारत को जानो, 3. भारत के बनो और 4. भारत को बनाओ | हमारा राष्ट्र प्राचीनतम है। हमें इस गौरव को जानना होगा और अगर नहीं जानते है तो हमें अपने प्राचीन इतिहास को पढना होगा, जानना होगा।" 

Sunday, December 9, 2012

तृप्ती के संग परिणय बंधन दिवस के शुभावसर पर समर्पित

 तृप्ती  के संग परिणय बंधन दिवस के शुभावसर पर समर्पित

हसीन सपने संजोये जो हमने
खुदा ने तुम्हे हकीकत बना भेजा

जी रहे थे हम पतझर में जैसे तैसे
तुम्हे फूलों  का गुलिस्ता बना भेजा

हवा के झोंके भी कहाँ  थे, लगा  कि  अब दम निकलेगा
उसने तो तुम्हे मधुर बहार बना भेजा

जीने की ललक भी नहीं बची थी दिल में 
खुदा ने तुम्हे मेरी दिलरुबा बना भेजा

जी रहा हूँ मैं, चहक रहा हूँ मैं , महक रहा हूँ मैं
तृप्ति से मिल रही है  तृप्ति  की, जिए जा रहा हूँ मैं