Tuesday, January 8, 2013

पाक की नापाक हरकत - कब तक सहन करनी होगी ?



पाक की नापाक हरकत - कब तक सहन करनी होगी ?
प्रफुल्ल मेहता
खबर जब पढ़ी तो रूह कांप उठी। न घर की चिंता न खुद की चिंता, सिर्फ देश की 24 घंटे रक्षा सिर्फ यही एक जज्बा हैं हमारे जवानो का। हमारे जवानो की न्रशंस हत्या कर उनका मस्तक ले गए . मस्तक सिर्फ उनका नहीं हर हिंदुस्तानी का प्रतीक था। . मगर इस नाकाम पंगु सरकार के हाथों  तो यही हश्र लग रहा हैं जो हमारे जाबांज जवानों के संग हुआ है।
मेरे मन में  इक ख्याल आया है की इस लोकतान्त्रिक देश की सर्वोच्च संस्था लोक सभा एवं राज्य सभा के सभी सदस्यों को अनिवार्य रूप से सियाचीन, जैसलमेर, बाड़मेर,बांग्लादेश की सीमाओ  पर 15-15 दिन के प्रवास तय करने चाहिए और वैसे ही रहे जैसे की जवान सीमा पर रहते है  ताकि जवानो को भी लगे की नेतागण भी राष्ट्र सुरक्षा में बराबरी का जोखिम उठा रहे है।

पाकिस्तान की यह नापाक हरकत इसका तुरन्त मुहँ  तोड़ जवाब देना चाहिए था। दुश्मन को जब तक दुश्मन नहीं समझेंगे और तुष्टिकरण से मोहभंग नहीं होगा तब तक पाक की नापाक कारगुजारियाँ  हमें युहीं झेलने पड़ेगी .और इसका दूरगामी परिणाम  झेलना पड़ेगा। इस दूरगामी परिणाम की  झलके मुंबई के साथ साथ पुरे देश में हुए प्रदर्शन जिसमे लखनऊ में मूर्ति पर हमला , मुम्बई  में शहीद स्मारक पर लात मारते हुए चित्र सामने आये है,   अकबरुद्दीन ओवेशी के  हाल में ही दिए बयां में झलक रही है। इस समय भी राष्ट्र नहीं चेता तो संकट गंभीर हो सकता है।
क्रिकेट मैच , समझौता  एक्सप्रेस या फिर थार एक्सप्रेस चला कर हमें क्या हासिल होगा . इतिहास  गवाह है की  हिंदुस्तान से पाकिस्तान के अलग होने के बाद से ही उसका दोस्ताना सिर्फ दिखावा और छल  कपट से भरा ही रहा है। जहरीला नाग भी इसके सामने तुच्छ  है।
हमारी विदेश नीति के ठुलमुल रवैये से ही पाकिस्तान दिन ब दिन  नापाक हरकते करने से बाज नहीं आया है।
देश के नेताओ से आग्रह है की देश के संप्रभुता से खिलवाड़ करने वालो के साथ किसी तरह की कोताही नहीं बरती जाये। अब देश का युवा जाग उठा है , कही ऐसा न हो जाये की देश की अस्मिता से खिलवाड़ करने वाले ऐसे नेताओ को खुद अपनी पहचान खोनी पड  जाये।
मुझे तो लगता है की, जाग उठा इस देश का युवा इन दो शहीदों को श्रधांजलि देने की इक नई  मिसाल इण्डिया गेट से शुरू करेगा जो देश के हर कोने तक चलेगा। सीमा पर हमारे जवानो की होसला अफजाई के लिए हमें अपना राष्ट्र धर्म निभाना ही होगा।
वन्देमातरम !