Tuesday, December 9, 2014

आज फिर कुछ अमिट पल याद आये …तृप्ती

परिणय बंधन के पच्चीस वर्ष पुरे हो रहे है आज मेरी तृप्ती के संग।  समय कैसे गुजरा  मालूम ही नहीं चल पाया।  अभी भी यह लग रहा है की कल परसो की ही तो बात थी, मगर समयचक्र है की बता रहा है हमने पच्चीस वर्ष  वैवाहिक जीवन के पुरे कर लिए अपने अपने माता पिता के आशीर्वाद से।   अपने बेटे प्रणीत के स्नेह के संग।  

मुझे किसी की पंक्तिया याद आ रही है "तलब वालो से बेहतर रहा हूँ , मुझे हर चीज़  बेमांगे मिली है ". बचपन से ही जिसके संग स्कूल में पढ़े खेले वही जीवन संगिनी बन जाये इससे ज्यादा ख़ुशक़िस्मती क्या होंगी।  बचपन में ही जिसने दिल पर जादू कर दिया वह कॉलेज से लेकर अब तलक मेरी राह की हमसफ़र है. बस ईश्वर से यही ख्वाहिश कि इस जन्म तूने मुझ पर जो उपकार किया वह सात जन्मों  और उससे भी आगे हो तो अति उत्तम ऐसा ही उपकार करे. 
कवि तो हूँ नहीं पर कुछ न कुछ कभी कभी लिखते रहने का शौक है अपने दिल में आये कुछ ख़यालो  को शब्द देने का प्रयास मात्र है ……
आज फिर कुछ अमिट पल याद आये …

स्वर्णिम पल था जीवन में तुम्हारा यूँ आने का
और मुझे और मेरी जिंदगी को थामने का
मिले तो बचपन में थे पहली बार
शायद वही से तुम्हे समझने का मिला अवसर

स्कूल में खेले संग संग वह पल भी याद है
कॉलेज के दिन भी भुलाये न भूले जायेंगे

दिल में घर तो तुमने बचपन में ही  कर लिया
हाथ चाहे बाद में थाम जीवन मेरा गुलजार किया

परिणय बंधन से जिंदगी की हुई शुरू नयी डगर 
नई डगर पर हमराही बनी तुम जीवन साथी बन
जीवन की उहा पोह / उठा पटक में
राह  दिखाई संज़ीदगी  से तुमने मुझे
थामे रखना हाथ मेरा इस जिंदगी में
की सफर पूरा हो हमसफ़र के संग

अगले जन्म रखना खाली अपना हाथ 
कि फिर से प्रिय थाम सको मेरा हाथ

खुश  हूँ  ईश्वर और तेरी सृष्टि से
कि  तृप्त हूँ अपनी तृप्ती से


Sunday, August 24, 2014

गूंजः रही माँ की आवाज .

आज फिर जन्म दिन की घड़ी आई
 शुभचिंतको ने दी बधाई

आज सवेरे सवेरे  बजी टेलीफोन की घंटी
मगर सुनाई न दी माँ की प्यार भरी आवाज
आज नहीं पूछा माँ ने क्या है आज ?
हर बार पूछती थी माँ आज के ही दिन
आज नहीं कहा माँ  ने खा लेना मिठाई
आज नहीं मिला माँ के मुख से आशीर्वचन
आज नहीं पूछा माँ ने  कितना बड़ा हो गया
अब नहीं पूछेगी माँ  मुझसे यह सब ……
कभी  नहीं पूछेगी कभी नहीं .......
किन्तु मेरे कानों  में गूंजः  रही
माँ की  आवाज .
माँ असमय छोड़ गयी , छोड़ गयी सिर्फ यादें
छोड़ गयी अमिट  स्मृति अपनी
संजोये हुँ  अपने मन में .
जीवन की यह डगर
माँ  के आशीर्वाद से होगी पूरी
माँ !!! शत शत नमन !!!

Monday, May 12, 2014

विश्लेषण अबकी बार …राजस्थान से कौन होगा दिल्ली मे भागीदार



विश्लेषण अबकी बार राजस्थान से कौन होगा दिल्ली मे भागीदार
प्रफुल्ल मेहता
लोकसभा चुनावो मे अगर नमो इफ़ेक्ट  रहता है तो दृश्य इस प्रकार होगा :


























 
कौन अब की बार यह सवाल दिमाग में रहेगा बार बार जब तक नहीं खुलेगी ईवीएम ।  यानि की १६ मई को ११-१२ बजे तक दिल्ली के सिहांसन पर ताज पोशी किसकी होगी तस्वीर साफ हो ही जाएगी। 
देश का वातावरण तो भाजपा के पक्ष मे दिखाई दे रहा  है।  जैसे जैसे मौसम में गर्मी बढ़ रही है राजनैतिक वातावरण का  पारा  भी  बढ़ता जा रहा है।  गर्मी के तीखे तेवर के बावजूद मतदान प्रतिशत बढ़ना  परिवर्तन की  बयार ही माना  जा सकता  है .
इस चुनाव की  खासियत तो यह है कि एक तरफ़ अकेले मोदी है पार्टी से भी कहीँ उपर और दूसरी  तरफ़ सभी पार्टीयां।  नित नये आरोप प्रत्यारोप मे मोदी और उनकी  चुनाव प्रबन्धन टीम का ही कमाल  लग रह है कि मोदी  पर किये जा रहे हर वार उलटे पड़ रहे है।
अमेठी में बाबा का पहली बार मतदान के दिन कई मतदान केंद्रो को नापना मोदी इफ़ेक्ट का ही नतीजा हैं वरना पहले  कभी ऐसा हुआ नहीं।    
राजस्थान में इस ताजपोशी की भागीदारी कितनी किसके पक्ष में रहेगी यह तो १६ मई को ही स्पष्ट होगी फिर भी आंकलन करने की पुरानी आदत के मुताबिक मैं भी अपने आप को रोक नहीं पा रहा। 
२००४ के लोकसभा चुनावो के बाद परिसीमन हुआ।  परिसीमन के बाद २००९ के  लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने २५ में से २०  सीटें हासिल कर अपना परचम फहराया था। राजस्थान में भाजपा को जो उम्मीद थी वह उसके मुताबिक नहीं रही।  मात्र ४ सीटो पर उसे मन मसोस कर रहना पड़ा।  एक सीट निर्दलीय किरोड़ी लाल मीणा ने जीती।
पुरे देश में जिस तरह से वातावरण दिखाई दे रहा है उसके मुताबिक अगर ईवीएम के डाटा बाहर आयेंगे तो भाजपा के लिए दिल्ली दूर नहीं लगती।
राजस्थान में इन चुनावो में मतदाताओ का उत्साह नजर आया और पिछले लोकसभा चुनावो से १४.५६ प्रतिशत मतदान अधिक हुआ है।  २००९ के चुनावो में कांग्रेस ने १०. ६२ प्रतिशत मत भाजपा से अधिक हासिल कर २५ में से २० लोकसभा क्षेत्रों  पर विजय हासिल की थी। इस बार के चुनावों  में अगर बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत पूरा भाजपा के पक्ष में मानें  तो पूरी की पूरी २५ लोकसभा क्षेत्रों  पर विजय स्पष्ट नजर आती है , मगर   कुछ लोकसभा क्षेत्रों  के समीकरणों के चलते हो सकता है की भाजपा को २१ -२३ सीटों  पर संतुष्टि करनी पड़े।
 पिछले लोकसभा चुनावों से इस बार १४.५६ प्रतिशत मतदान अधिक हुआ है. अगर मोदी इफ़ेक्ट को माना जाये और पूरा बढ़ा हुआ मतदान प्रतिशत भाजपा के पक्ष में जोड़े तो पूरी २५ की २५ सीटें भाजपा को मिलती दिखाई देती है।  
अगर १० प्रतिशत मतदान भाजपा के पक्ष  में  माने तो १९-२१  सीटें मिलती है और अगर १२ प्रतिशत भाजपा की लहर में जोड़े तो २१-२३ सीटें मिलती दिखाई देती है.
दौसा, बाड़मेर  सीटों  पर समीकरण थोड़े उलझे हुए लगते है।  बाड़मेर में जहा मतदान प्रतिशत बहुत अधिक रहा है वही दौसा में पिछले चुनावो से २.९८ प्रतिशत मतदान कम हुआ है . दौसा में  किरोड़ी लाल मीणा , नमोनारायण मीणा तथा हरीश मीणा में त्रिकोणीय संघर्ष दिखाई दे रहा है। नागौर तथा सीकर भी चर्चा मे है।  
बाड़मेर में भाजपा ने दम  तो पूरा ठोका हैं  मगर जसवंत सिंह को कमजोर भी नहीं माना जा सकता हैं , मुस्लिम मतों पर उनकी  अच्छी  पकड़ मानी  जा रही हैकांग्रेस के युवा प्रत्याशी हरीश चौधरी क्षैत्र  में जनता के चहेते तो रहे है मगर ठीक चुनावो से पहले कांग्रेस से  भाजपा में शामिल हुए कर्नल  सोनाराम चौधरी अगर जाट वोटों  में पूरी तरह सेंध लगाते है तो जसवंत सिंह के लिए दिल्ली दूर हो जायेगी।
कांग्रेस का संगठन मे परिवर्तन राजस्थन को रास नहीं आया लगता , संगठन का  जिम्मा अशोक गहलोत को मिलता तो उनकी भुमिका  अहम रह सकती थी , फिर भी  उन्होने अपना  दम  पूरा  ठोखा हैं  .
जोधपुर सीट की बात करें  तो गजेन्द्र सिंह शेखावत तक़रीबन १ लाख ४४ हज़ार से २ लाख से अधिक मतों से जीत सकते हैं।
 
पाली, जालौर , बीकानेर, श्रीगंगानगर, नागौर तथा बाड़मेर मे भी भाजपा  विजय का परचम  फहराती  नजर आती है।

Wednesday, April 16, 2014

माँ

"............."माँ"............."

माँ- दुःख में सुख का एहसास है,
माँ - हरपल मेरे आस पास है ।
माँ- घर की आत्मा है,
माँ- साक्षात् परमात्मा है ।
माँ- आरती है,
माँ- गीता है ।
माँ- ठण्ड में गुनगुनी धूप है,
माँ- उस रब का ही एक रूप है ।
माँ- तपती धूप में साया है,
माँ- आदि शक्ति महामाया है ।
माँ- जीवन में प्रकाश है,
माँ- निराशा में आस है ।
माँ- महीनों में सावन है,
माँ- गंगा सी पावन है ।
माँ- वृक्षों में पीपल है,
माँ- फलों में श्रीफल है ।
माँ- देवियों में गायत्री है,
माँ- मनुज देह में सावित्री है ।
माँ- ईश् वंदना का गायन है,
माँ- चलती फिरती रामायन है ।
माँ- रत्नों की माला है,
माँ- अँधेरे में उजाला है,
माँ- बंदन और रोली है,
माँ- रक्षासूत्र की मौली है ।
माँ- ममता का प्याला है,
माँ- शीत में दुशाला है ।
माँ- गुड सी मीठी बोली है,
माँ-  दिवाली, होली है ।
माँ- इस जहाँ में हमें लाई है,
माँ- की याद हमें अति की आई है ।
माँ- दुर्गा माई है,
माँ- ब्रह्माण्ड के कण कण में समाई है ।

Sunday, April 13, 2014

माँ....शत शत नमन


 तूने यह क्या किया 
हमें अकेला क्यों छोड़ दिया

माँ तूने सब कष्ट झेले हमें उफ़ तक करने न दिया 
फिर आज हमें क्यों रोते  बिलखते छोड़ दिया 

घर सूना सूना है माँ बिन तेरे 
बबलू कह कर अब कौन पुकारे